गोपाल मंदिर भक्त मंडल झाबुआ और गोपालमंदिर जन्त्राल ,बावड़ी ,भरूच के अन्यत्र भक्तोके विशाल समूह से बना ऋषिकुल ! आज से४० वर्ष पूर्वमंदिर निर्माण के समय मंदिर केसमीप ही ३३ निवास स्थलों के सदस्यों काछोटा सा ऋषिकुलआज ४० वर्ष बाद हजारोभक्तो कि आस्था व प्रेम वाला ऋषिकुलआश्रमबन चूका है। ऋषिकुल में जन्त्राल , झाबुआ , बावड़ी के साथ - साथ आस पास केगाँव, शहरो , कस्बोजैसे अनेक भक्तऋषिकुलऔर गोपाल मंदिर संचालित गतिविधियोंमें हिस्सा लेते है । यही कारण है कि आज झाबुआ शहरअन्यत्र व दूरस्थ शहरो में गोपाल मंदिर झाबुआ के द्वारा ही पहचाना जाता है। झाबुआ शहर कि सांस्कृतिक वधार्मिक छवि को पल्वित और पोषित करने हेतु गोपाल मंदिर व ऐसे ही कई मंदिर जो पिछले कई वर्षो से अपनेप्राचीन इतिहास को यथावत रखते हुए भक्तो के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए है उनका भी महत्वपूर्ण योगदान है।सच ही है कि मध्य प्रदेश कि ऐतिहासिक स्थलों में झाबुआ जिले में सबसे अधिक धार्मिक, स्थल है जिनमे प्रमुख, गोपाल मंदिर झाबुआ, देवझिरी तीर्थ स्थल , बालाजी धाम जैसे अनेक धार्मिक स्थल मध्य प्रदेश के मानचित्र परझाबुआ जिले को अलग पहचान दिलाये हुए है । इसका सजीव उदाहरण गोपाल मंदिर झाबुआ में आने वाले दूरस्थभक्त जिन्होंने गोपाल मंदिर झाबुआ को अब तक केवल वेबसाइट या इंटरनेट संस्करण पर ही देखा है वो इस मेंरूचि होने पर मंदिर परिसर में माँ श्री के साक्षात् दर्शन हेतु आये। मंदिर में रोजाना अन्यत्र स्थानों से आने वाले भक्तजिनमे मंदिर के इतिहास को जानने कि रूचि को देखते हुए ऋषिकुलके बुजुर्ग भक्तो द्वारा जो स्वयं मंदिर के ४०वर्ष के इतिहास के साक्ष्य है । उनके द्वारा अन्यत्र आने वाले भक्तो को इस सम्बन्ध मेंजानकारी उपलब्ध कराइजाती है। गोपाल मंदिर में ऋषिकुलभक्त बालको कि बढतीहुई संख्या माँ श्री के आशीर्वाद का परिचायक होने केसाथ ही यह कहा जा सकता है भविष्य में गोपाल मंदिर झाबुआ का प्राचीन इतिहास प्रत्येक भक्त बालक कि जिव्हापर होने के साथ ही झाबुआ जिले के प्राचीन इतिहास कि सूची में गोपाल मंदिर का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकितहोगा, और शायद मंदिर का ये ही इतिहास युग युगांतर अपनी ऐतिहासिक छवि को सहेजे झाबुआ जिले केइतिहास में अपनी भव्य मोजुदगी दर्शायेगा।